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लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

भाग 19 
सुभाष की गवाही से कोर्ट में अफरा तफरी मच गई थी । अनुपमा और अक्षत ने सक्षम को घूरकर देखा । सक्षम ऐसा भी कर सकता है , ये तो दोनों ने सोचा ही नहीं था । मासूम चेहरे के पीछे छुपे हुए एक षड्यंत्रकारी दिमाग की पहचान जिंदगी भर नहीं हो पाती है । अनुपमा सक्षम के साथ कितने वर्षों से रह रही थी मगर उसके खतरनाक इरादों को कभी जान ही नहीं पाई थी । 

राहुल ने काम शुरू करने से पहले 5लाख रुपए मांगे थे । सक्षम ने उसे एडवांस के रूप में 5 लाख रुपए दे भी दिये । अनुपमा सोचने लगी "सक्षम के पास इतने रुपए कहां से आए ? उसके खाते से तो इतने अधिक रुपए निकले नहीं थे ? एक एक एंट्री की उसे जानकारी थी । फिर कहां से आए इतने सारे रुपए सक्षम के पास ? सक्षम इतना बड़ा षड़यंत्रकारी निकलेगा इसकी तो कल्पना करना भी बेमानी है । अनुपमा का वश चलता तो वह सक्षम को कच्चा चबा जाती" । पर न्यायालय में वह मन मसोसने के अलावा और क्या कर सकती है ? 

सुभाष की गवाही से सक्षम के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी थी । "अब ये सुभाष नाम की मुसीबत कहां से आ गई ? मुझे तो पता ही नहीं है कि मेरी कंपनी में सुभाष नाम का कोई गार्ड है भी या नहीं ? और अगर है भी तो मैं इससे कभी मिला ही नहीं । मगर यह बंदा 5 लाख रुपए एडवांस में राहुल को देने की बात कर रहा है । मेरे पास इतना रुपया है कहां ? अकाउंट्स से मैंने पैसे निकलवाये नहीं । और कोई सोर्स है नहीं मेरे पास । फिर इतना झूठ क्यों बोल रहा है ये आदमी ? मैंने इसका क्या बिगाड़ा है ? झूठी गवाही देकर यह मुझे फंसाना क्यों चाहता है" ? सक्षम ये बातें सोचकर हैरत में पड़ गया । 

सुभाष की गवाही से जनता सक्षम पर थू थू करने लगी थी । जनता में खुसुर-पुसुर शुरू हो गई थी । अदालत में बैठी एक औरत दूसरी औरत से कहने लगी "माना कि अनुपमा ने सक्षम के साथ बेवफाई की थी पर इसका मतलब यह तो नहीं कि उसका कत्ल कर दो ? उसे तलाक भी तो दिया जा सकता था । सक्षम उसे तलाक देकर दूसरी शादी कर सकता था । अनुपमा यदि अक्षत के साथ रहना चाहती थी तो वह उससे शादी कर लेती मगर दोनों को ठिकाने लगाने की बात हजम नहीं हो रही है । कितनी सुंदर है अनुपमा । इसे कोई कैसे मारने की सोच सकता है ? और अक्षत भी तो कितना मासूम सा है । दोनों की जोड़ी बहुत जंच रही है । सक्षम के प्रति मेरी कोई सुहानुभूति नहीं है । उसके अपराध की सजा उसे अवश्य मिलनी चाहिए" । वह आक्रोश में आकर गुर्राने लगी थी । 

सुभाष के बयानों से सरकारी वकील नीलमणी त्रिपाठी के चेहरे का नूर खिलकर चांद बन गया था । सक्षम के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश कर उसने अपनी टोपी में एक पंख और लगा लिया था । सक्षम के बचने के सारे रास्ते बंद कर देना चाहता था त्रिपाठी । वह अपने लक्ष्य में सफल भी हो रहा था । उसे अपनी सफलता पर अभिमान भी होने लगा था । इस सफलता के मद में चूर होकर त्रिपाठी जज साहब से कहने लगा 

"योर ऑनर ! सक्षम के इरादे बहुत खतरनाक थे । वह अनुपमा और अक्षत को हर हाल में सबक सिखाना चाहता था । इस काम के लिए उसने सुपारी किलर राहुल को हायर किया था । राहुल ने दोनों को निपटाने के लिए 10 लाख रुपए की मांग की थी । सक्षम के पास इतना पैसा था नहीं । जो भी था वह उसके खाते में था । खाता सक्षम और अनुपमा दोनों के जॉइंट नाम से था । सक्षम इस बात को जानता था कि यदि अकाउंट से पैसे निकलवाए तो अनुपमा को पता अवश्य चलेगा । जब अनुपमा को पता चलेगा तब वह पूछताछ अवश्य करेगी कि इतने रुपए खाते से क्यों निकलवाये ? तब वह क्या जवाब देगा ? इसलिए पैसा खाते से नहीं निकलवाने हैं , यह बात उसे समझ में आ गई । 

10 लाख रुपयों की व्यवस्था कहां से की जाए ? सक्षम इस बारे में सोचता रहता था । उन्हीं दिनों उसके एक मित्र विजय ने अपना फ्लैट खरीदा था । उसने बताया कि उसने यह फ्लैट लोन पर और कुछ पैसा उधार लेकर खरीदा था । उसने 40 लाख रुपए का लोन लिया था और 40 लाख रुपए उसने अपने लगा दिये । शेष 20 लाख की जरूरत और थी जिसे उसने रुस्तम जी भाई से उधार लिये थे 2 रुपए प्रति सैकड़ा की ब्याज दर पर । सक्षम को रुस्तम जी भाई में एक उम्मीद दिखाई दी और वह एक दिन रुस्तम जी भाई के पास चला गया । वहां जाकर उसने उनसे 10 लाख रुपए उधार देने के लिए कहा । रुस्तम जी भाई ने सक्षम को पैसे देने के लिए हां कह दिया मगर बदले में मकान गिरवी रखने के लिए भी कह दिया । सक्षम के पास और कोई विकल्प नहीं था इसलिए वह मकान को गिरवी रखने को राजी हो गया । मैं इस संबंध में रुस्तम भाई को विटनेस बॉक्स में बुलाना चाहता हूं योर ऑनर" । 
"इजाजत है" जज साहब ने उनकी बात मान ली 

दरबान फिर खड़ा हुआ और दरवाजे पर जाकर जोर से आवाज लगाने लगा "रुस्तम भाई अदालत में हाजिर हो" 

रुस्तम भाई दर्शक दीर्घा में बैठे थे । तुरंत उठकर विटनेस बॉक्स में आ गये । सरकारी वकील त्रिपाठी भी रुस्तम भाई के पास आ गये । रुस्तम भाई को सत्य बोलने की शपथ दिलवाई गई । त्रिपाठी जी ने पूछा 
"आपका नाम क्या है" ? 
"रुस्तम भाई लखपत भाई रोकड़ावाला" 
"क्या काम करते हो" ? 
"यही कोई पैसे टके का काम कर लेते हैं" 
"पैसे टके का क्या मतलब है ? पैसा उधार देने का काम करते हो" ? इस बार सरकारी वकील ने जोर की आवाज में पूछा । इस तरह से कड़क कर पूछने से रुस्तम भाई घबरा गया । वह हड़बड़ाकर बोला 
"जी हां हुजूर । पैसे उधार देता हूं" 
"ये जो सामने पतले से आदमी खड़े हैं जिन्होंने चैक की शर्ट पहन रखी है , क्या तुम उनको जानते हो" ? 
"जानता हूं हुजूर,  जरूर जानता हूं । ये सक्षम भाई हैं" । रुस्तम जी सक्षम पर नजरें जमाकर बोला 
"कैसे जानते हो इन्हें" ? 
"एक रोज मेरी दुकान पर 10 लाख रुपए उधार लेने आए थे । इतनी बड़ी रकम एक अनजान आदमी को कैसे देता इसलिए मैंने इनसे इनके घर के कागजात मांगे तो इन्होंने अपने घर के कागजात मुझे दिखाए । मैंने वे कागजात अपने पास रख लिए सक्षम भाई को 5 लाख रुपए नकद दे दिये  । बाकी के 5 लाख रुपए लेने आज तक नहीं आए सक्षम भाई । ये रही लिस्ट जिसमें सक्षम के नाम के सामने 5 लाख रुपए लिखे हैं " । रुस्तम जी भाई सक्षम के बारे में बताकर बड़े खुश हो रहे थे । वकील त्रिपाठी ने वह लिस्ट रुस्तम भाई से लेकर जज साहब को दे दी । फिर वे रुस्तम भाई से पूछने लगे । 
"क्या आज आप यहां पर सक्षम के मकान के कागजात लेकर आए हैं" ? 
"जी हां हुजूर, जरूर लेकर आया हूं" । उसने अपनी टोपी उतार कर उसमें से कागजों का एक पुलिंदा निकाला और सक्षम के मकान के कागजात निकाल कर सरकारी वकील को दे दिये । सरकारी वकील ने उन्हें  जज साहब के हाथ में पकड़ा दिया । जज साहब ने उन्हें उलट पलट कर देखा । सक्षम के मकान की रजिस्ट्री के असल कागज थे वे । जज साहब ने उन्हें अनुपमा को दिखाया और उससे पूछा कि क्या वे कागज उनके मकान के ही हैं ?  अनुपमा ने कागज देखकर पुष्टि कर दी कि वे उन्हीं के मकान के कागजात हैं । जज साहब ने अपनी डायरी में ये सब बातें नोट कर लीं । तब सरकारी वकील नीलमणी त्रिपाठी बोला 
"योर ऑनर ! रुस्तम भाई की गवाही से यह स्पष्ट है कि सक्षम ने सुपारी किलर राहुल को देने के लिए 5 लाख रुपए रुस्तम भाई से उधार लिये थे । चूंकि राहुल का कत्ल हो  चुका था इसलिए शेष 5 लाख रुपए और देने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी थी । इन 5 लाख रुपयों के लिए उसे अपना मकान रुस्तम भाई को गिरवी रखना पड़ा था" 

गवाही के दौरान अदालत में एक से एक बड़े बड़े खुलासे हो रहे थे । "सक्षम देखने में कितने सीधे सादे हैं पर अब पता चल रहा है कि वे कितने षड्यंत्रकारी हैं । पुरुषों के दिमाग को पढ पाना बहुत मुश्किल होता है" अनुपमा सोच रही थी । "जिस तथाकथित अपराध के लिए मुझे इतनी बड़ी सजा देने की तैयारी सक्षम ने कर ली थी , वह अपराध तो मैंने कभी किया ही नहीं था । मुझ पर झूठा इल्जाम लगाया गया था । काश ! एक बार मुझसे पूछ तो लेते सक्षम तुम ? वह तो शुक्र है कि उस दिन मैं वहां नहीं थी वरना राहुल की जगह मै होती और स्वर्ग में सैर कर रही होती । पर लाख टके का प्रश्न यह है कि राहुल को आखिर किसने मारा" ? अनुपमा के मन में ढेरों विचार आ रहे थे । सक्षम के लिए उसके मन में नफरत ही नफरत भर गई । 

श्री हरि 
16.6.23 

   19
10 Comments

Abhilasha Deshpande

05-Jul-2023 03:13 AM

Good one

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:46 AM

🙏🙏

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Gunjan Kamal

03-Jul-2023 10:13 AM

Nice one

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:46 AM

🙏🙏

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Abhinav ji

16-Jun-2023 08:05 AM

Very nice 👍

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Hari Shanker Goyal "Hari"

16-Jun-2023 09:33 AM

🙏🙏🙏

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